Суд над Бхагавад-гитой / Attempt to ban Bhagavad-gita


Guest

/ #2715

2011-12-18 19:06

गीता पर प्रतिबंध लगाना सामुहिक आत्महत्या के समान है
महान श्रीकृष्ण भक्त प्रभुपाद ने जड़ चेतन में भगवान श्रीकृष्ण को मानते हुए पूरे विश्व के कल्याणार्थ गीता की दिव्य ज्ञान की गंगा से उद्वार कराने का भागीरथ प्रयत्न किया। उनके इस श्रेयकर प्रयास से पूरे विश्व के लाखों लोगों ने अपना जीवन को धन्य किया। परन्तु गीता रूपि दिव्य ज्ञान के प्रकाश से अज्ञानी लोगों को अपनी धर्म के नाम से चलने वाली भ्रमित करने वाली दुकाने बंद होने का भय सताने लगा। इसी भय से भयभीत हो कर रूस में गीता को अलगाववाद का प्रतीक मानते हुए उस को बंद करने के लिए कुतर्क दे कर ऐन केन प्रकार से गीता व इस्कान पर प्रतिबंध लगाने का षडयंत्र रच रहे है। इसी का एक छोटा सा नमुना है रूस की कोर्ट में इस मामले में एक वाद। गीता पर प्रतिबंध की मांग करके रूस के धर्म के ठेकेदारों ने अपने समाज की एक प्रकार से सामुहिक आत्महत्या करने के लिए धकेलने का निकृष्ठ काम कर रहे है। ये सब केवल रूस में हो रहा षडयंत्र नहीं अपितु पूरे विश्व में ईसायत व आतंकवादियों का इस दिशा में सामुहिक शर्मनाक प्रयास है। गीता जडतावादी नहीं चेतनवादी प्रवृति की प्रवाहिका है। इससे रूस का ही सबसे अधिक अहित होगा क्योंकि रूसी दिव्य ज्ञान से वंचित होंगे।